राजशाही समर्थक दलों की बढ़ती गतिविधियां
नेपाल में राजशाही की पैरोकारी करने वाले दलों की बढ़ती सक्रियता ने लोकतांत्रिक सरकार और अन्य दलों को सतर्क कर दिया है। सरकार को आशंका है कि ये दल कहीं नारायण हिती (शाही राजदरबार) पर कब्जा न कर लें। इसी के चलते सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करते हुए सेना को नारायण हिती की सुरक्षा का जिम्मा सौंप दिया गया है।
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नेपाल की लुंबिनी विधानसभा में बोलते पूर्व मंत्री व विधायक सीके गुप्ता (चंद्र केश) |
हिंदुत्व और यूपी के सीएम का असर
नेपाल में राजशाही बहाली की चर्चा कोई नई नहीं है, लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम और तस्वीरें इस अभियान से जोड़े जाने के कारण मामला और गंभीर हो गया है। नेपाल सरकार और अन्य राजनीतिक दल इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। 19 फरवरी को राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रजातंत्र दिवस समारोह में पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के संबोधन ने इस मुद्दे को और हवा दी।
पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र की बढ़ती गतिविधियां
पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र धार्मिक स्थलों की यात्रा बढ़ा रहे हैं। जनवरी 2025 में मकर संक्रांति पर उन्होंने गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ में दर्शन कर खिचड़ी अर्पित की। पहले ये कार्यक्रम गोपनीय रहता था, लेकिन इस बार इसे सार्वजनिक किया गया, जिससे उनकी सक्रियता पर चर्चाएं तेज हो गईं।
योगी आदित्यनाथ की नीति की नेपाल में चर्चा
नेपाल की लुंबिनी विधानसभा, जो भारत की सीमा से सटी हुई है, में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और उनकी नीतियों की चर्चा होती रहती है। पूर्व मंत्री व विधायक चंद्रकेश गुप्ता ने नेपाल सरकार को योगी की पर्यटन नीति से सीख लेने की सलाह दी और प्रयागराज कुम्भ आयोजन का उदाहरण दिया।
हिंदुत्व पर एकजुटता का प्रभाव
नेपाल में चल रही राजनीतिक हलचल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भले ही नेपाल का आंतरिक मामला हो, लेकिन हिंदुत्व की एकजुटता पर इसका असर पड़ना तय माना जा रहा है। हिंदूवादी नेता और यूपी विधानसभा के पूर्व सदस्य राघवेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि हिंदुओं के उत्पीड़न को किसी भी देश में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
राजनीतिक अस्थिरता भी जिम्मेदार
नेपाल में राजशाही की मांग के पीछे राजनीतिक अस्थिरता भी एक प्रमुख कारण है। 2008 में राजशाही समाप्त होने के बाद से नेपाल में कोई स्थायी सरकार नहीं बन सकी। माओवादी नेता प्रचंड की पहली सरकार केवल 9 महीने चली। बार-बार सरकारों के बदलने और विकास कार्यों के प्रभावित होने से जनता में यह धारणा बनी है कि केवल राजा ही देश को स्थिरता दे सकता है।
रिपोर्ट : नीलू दुबे,महाराजगंज
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