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इटवा तहसील पर हुई बैठक, प्रदेश महासचिव ने उठाए वित्तविहीन शिक्षकों के मुद्दे

मुख्य अतिथि ने नेताओं के प्रति व्यक्त की नाराजगी

रविवार को इटवा तहसील स्थित कार्यालय पर आयोजित तहसील स्तरीय वित्तविहीन शिक्षक एवं कर्मचारियों की बैठक में प्रदेश महासचिव देशबंधु शुक्ला ने शिक्षकों और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि नेताओं को चुनाव आते ही हमारी याद आती है, लेकिन हमारे भुखमरी के हालात और समस्याओं को लेकर उन्होंने कभी आवाज नहीं उठाई। वित्तविहीन शिक्षकों और कर्मचारियों के दुख-दर्द को समझने वाला कोई नहीं है।



समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग

बैठक की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष श्याम नंदन शुक्ला ने की, जबकि संचालन उदय नारायण त्रिपाठी ने किया। बैठक में देशबंधु शुक्ला ने कहा कि समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग करने वाले नेताओं के इरादों पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने कहा, "हमें अपने बराबर का कार्यकर्ता नहीं माना गया। मतदाता बनने से वंचित रखने, पूर्णकालिक के बजाय अंशकालिक माने जाने और केंद्र व्यवस्थापक बनने जैसी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। हमें इनके मायाजाल में फंसने से बचना होगा।"

महत्वपूर्ण उपस्थिति

बैठक में तहसील के समस्त शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित रहे। प्रमुख रूप से उदय राज, रामावतार जायसवाल, रामविलास चौधरी, मोहित श्रीवास्तव, सी०पी० सिंह, शेषनारायण, विकास, अमित कुमार मिश्र, राकेश पांडे, और सर्वेश पांडे सहित कई अन्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया।

सांसद व विधायकगण की उपस्थिति में हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ

जनपद सिद्धार्थनगर के बी.एस.ए. ग्राउंड में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत रविवार को सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सांसद डुमरियागंज  जगदंबिका पाल, विधायक कपिलवस्तु श्यामधनी राही, विधायक शोहरतगढ़ विनय वर्मा, विधायक डुमरियागंज सैय्यदा खातून और जिलाधिकारी डॉ. राजा गणपति आर. द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।  



विवाह में शामिल हुए 451 जोड़े

इस सामूहिक विवाह में कुल 451 जोड़ों का विवाह सम्पन्न हुआ। इनमें हिंदू समुदाय के 355, बौद्ध धर्म के 39, और मुस्लिम समुदाय के 57 जोड़े शामिल थे। विवाह हिंदू जोड़ों का पंडितों द्वारा, मुस्लिम जोड़ों का मौलानाओं द्वारा निकाह और बौद्ध जोड़ों का उनके धर्मानुसार संपन्न कराया गया।  

मुख्यमंत्री योजना से मिले लाभ

कार्यक्रम में प्रत्येक जोड़े को रुपए 35,000 की धनराशि बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से दी गई। साथ ही, रुपए 10,000 का सामान और बारात स्वागत हेतु रुपए 6,000 की व्यवस्था की गई। जोड़ों को साड़ी, सूट, बर्तन, घड़ी, वैनिटी किट, ट्रॉली बैग, और मिठाई प्रदान की गई।  

मुख्य अतिथियों ने दिया आशीर्वाद

 सांसद  जगदंबिका पाल ने कहा कि मुख्यमंत्री योजना गरीब परिवारों के लिए बड़ी राहत है। विधायक कपिलवस्तु श्यामधनी राही और विधायक शोहरतगढ़  विनय वर्मा ने मुख्यमंत्री द्वारा गरीबों के लिए इस पहल को सराहनीय बताया। जिलाधिकारी डॉ. राजा गणपति आर. ने नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया।  

अधिकारियों की उपस्थिति 

इस अवसर पर जिला विकास अधिकारी गोपाल प्रसाद कुशवाहा, जिला समाज कल्याण अधिकारी महिपाल सिंह, सम्बंधित खण्ड विकास अधिकारी व अन्य अधिकारीगण  मौजूद रहे।

नगर में अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए हुई कार्रवाई

उतरौला (बलरामपुर): शनिवार को उपजिलाधिकारी अवधेश कुमार और  सी.ओ. राघवेन्द्र सिंह ने नगर के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौराहा, तहसील के पास और भीड़भाड़ वाले इलाकों में पैदल गश्त की। इस अभियान के तहत नगर पालिका कर्मचारियों और पुलिस बल के साथ सड़कों के किनारे से अवैध अतिक्रमण हटवाया गया।  


दुकानदारों को सख्त चेतावनी

अभियान के दौरान पटरियों पर दुकानों द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटाया गया। अधिकारियों ने दुकानदारों को चेतावनी दी कि यदि भविष्य में अतिक्रमण किया गया तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।  

यातायात नियमों का पालन करने की अपील

एसडीएम अवधेश कुमार ने जनता से यातायात नियमों का पालन करने की अपील की। उन्होंने सड़कों पर सुगम यातायात व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।  

स्थानीय नागरिकों ने की सराहना

इस अभियान का उद्देश्य कस्बे में यातायात व्यवस्था को सुधारना और अतिक्रमण से उत्पन्न समस्याओं को दूर करना था। स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन की इस कार्रवाई की सराहना करते हुए उम्मीद जताई कि इस तरह की पहल से कस्बे में यातायात व्यवस्था बेहतर होगी।  

अभियान में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी

इस मौके पर तहसीलदार सत्यपाल प्रजापति, प्रभारी निरीक्षक संजय दूबे, अधिशासी अधिकारी राजमणि, नगर पालिका लिपिक नीरज कुमार सहित नगर पालिका के कर्मचारी और भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहे।

रिपोर्ट : आमिर सिद्दीकी 

डुमरियागंज तहसील क्षेत्र में हादसा

डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के खुनियाव ब्लॉक में स्थित बगहवा गांव में गुरुवार देर रात एक दर्दनाक घटना घटी। लगभग रात 12 बजे पीड़ित जगनारायण के घर के सामने बने छप्पर के नीचे लगी आग से उनकी एक दुधारू भैंस और पड़वा की जलकर मौत हो गई।  



घटनाक्रम

बगहवा गांव निवासी जगनारायण, पुत्र घोराहू, ने अपने घर के सामने छप्पर के नीचे एक दुधारू भैंस और पड़वा को पाल रखा था। रोज़ की तरह, उन्होंने जानवरों को चारा-पानी देने के बाद आराम के लिए छोड़ दिया था। रात करीब 12 बजे अचानक आग लग गई, जिसमें भैंस और पड़वा दोनों की जलकर मौत हो गई।  

घरेलू सामान भी हुआ राख

आग लगने के कारण छप्पर के नीचे रखा घरेलू सामान, कपड़े और अनाज भी जलकर राख हो गए। पीड़ित परिवार इस नुकसान से गहरे सदमे में है।  

प्रशासन ने की जांच

घटना की सूचना मिलने पर तहसील प्रशासन के लेखपाल राजेश कुमार मौके पर पहुंचे। उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया और पीड़ित परिवार से जानकारी जुटाई। लेखपाल ने बताया कि आग के कारणों का पता नहीं चल सका है, लेकिन तहसील प्रशासन की ओर से प्रभावित परिवार को हर संभव मदद दी जाएगी।  

पीड़ित परिवार की स्थिति

 इस घटना से पीड़ित परिवार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। दुधारू भैंस और पड़वा की मौत ने उनकी आजीविका पर गहरा प्रभाव डाला है। परिवार ने प्रशासन से जल्द से जल्द सहायता की मांग की है।

रिपोर्ट : मोहम्मद अशरफ

इपीरियल यूथ सोसाइटी के अंतर्गत 29 लोगों ने किया रक्तदान 

डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के हल्लौर गांव स्थित दरगाह चौक पर गुरुवार को इपीरियल यूथ सोसाइटी के द्वारा रक्त क्रांति मिशन के तहत रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में 29 लोगों ने रक्तदान किया, जिसमें ग्रामीणों के साथ-साथ धर्मगुरु भी शामिल हुए।  


चार घंटे चला शिविर

रक्तदान शिविर का आयोजन दिन में 12 बजे से अपराह्न 4 बजे तक किया गया। इस दौरान ग्रामीणों और धर्मगुरुओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। 

मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर किया सम्मानित

मौलाना शाहकार इमाम जुमा जमात जामा मस्जिद हल्लौर हुसैन ने रक्तदाताओं को मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। रक्तदान शिविर के दौरान मौलाना शाहकार ने कहा, “रक्तदान एक महान कार्य है। यह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि कई लोगों की जान बचा सकता है। दुर्घटनाओं, बीमारियों या सर्जरी के दौरान रक्त की आवश्यकता पड़ती है, और ऐसे समय में रक्तदान ही एकमात्र उपाय होता है।” उन्होंने सभी लोगों से इस मिशन में भाग लेने की अपील की।  

गरीब और जरूरतमंदों के लिए मददगार है यह मिशन

शिविर के दौरान इपीरियल यूथ सोसाइटी के प्रतिनिधि ने बताया कि यह कैंप पूरे भारत में भ्रमण करता है और कैंसर, थैलेसीमिया, डायलिसिस, एनीमिक जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे गरीब और असहाय रोगियों को रक्त उपलब्ध कराता है।  

सम्मानित रक्तदाता और उपस्थित गणमान्य

इस शिविर में मौलाना अली अब्बास, अकबर रिजवी, सलमान, सलीम, मोहम्मद अकरम चौधरी, मोहम्मद हसन, राहिब रिजवी, वसी हैदर और अज्जू आदमी ने रक्तदान किया। इस अवसर पर कैफी रिजवी, डॉक्टर फखरुल हसन, कसीमा रिजवी, तशबीब हसन, मंज़र, महफूज़ और काज़िम रज़ा समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

रिपोर्ट : अंकित अग्रहरि

जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन सौंपा

तहसील डुमरियागंज की आदर्श बार एसोसिएशन ने शनिवार को जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट देवेंद्र प्रसाद पाठक के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ कड़ा कदम उठाने की मांग की।  


सन 1971 में भारत के योगदान का उल्लेख

ज्ञापन में बताया गया कि बांग्लादेश का अस्तित्व भारत के बलिदान और योगदान का परिणाम है। 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के अत्याचारों से बांग्लादेश को आजाद कराया था। भारत ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए सैन्य कार्रवाई तक की थी, लेकिन आज वहां हिंदू अल्पसंख्यकों पर अमानवीय अत्याचार किए जा रहे हैं।  

अल्पसंख्यकों पर हो रहा अत्याचार

बार एसोसिएशन के अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि बांग्लादेश में हिंदुओं का नरसंहार, अपमान और उनके धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इन घटनाओं से भारत के हिंदू समुदाय में गहरी नाराजगी है। एसोसिएशन ने राष्ट्रपति से अपील की है कि भारत सरकार इस मुद्दे पर गंभीर कदम उठाए और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।  

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई की मांग

ज्ञापन में भारत सरकार से आग्रह किया गया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए जाएं। बार एसोसिएशन का कहना है कि भारत का कर्तव्य है कि वह अपने पड़ोसी देश में हिंदू समुदाय के सम्मान और सुरक्षा के लिए उचित कार्रवाई करे।  

अधिवक्ताओं की उपस्थिति

 ज्ञापन सौंपने के दौरान सुभाष चन्द्र श्रीवास्तव, नदीम अहमद, जलाल अहमद,सरस श्रीवास्तव,राजेश कुमार दूबे,दुर्गेश श्रीवास्तव,हरेन्द्र मौर्या,सुभाष विश्वकर्मा,हृदयराम,रविकांत पाण्डेय,प्रवीण श्रीवास्तव,मन्तराम चौधरी,मिथिलेश कुमार यादव,बृजनन्दन पाण्डेय,अनुराग पाठक समेत अन्य अधिवक्ता उपस्थित रहे।

रिपोर्ट : अंकित अग्रहरि 

भारत की कृषि पर निर्भरता

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसकी लगभग 60 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। कृषि को उन्नत बनाने और किसानों को तकनीकी ज्ञान प्रदान करने के उद्देश्य से 1974 में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत पहला कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) पांडिचेरी में स्थापित किया गया। आज देशभर में कुल 731 कृषि विज्ञान केंद्र संचालित हैं, जिनमें से कुछ बड़े जिलों में दो-दो केंद्र हैं।



कृषि विज्ञान केंद्रों का संचालन और वित्त पोषण

इन केंद्रों का 100 प्रतिशत वित्त पोषण भारत सरकार द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के माध्यम से किया जाता है। इनमें से केवल 9 प्रतिशत (66 केंद्र) आईसीएआर के अंतर्गत संचालित हैं, जबकि 91 प्रतिशत (665 केंद्र) राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और गैर सरकारी संगठनों के तहत कार्यरत हैं।  

हालांकि, सभी कृषि विज्ञान केंद्रों का मिशन और कार्य समान है, लेकिन कर्मचारियों को मिलने वाले लाभों में बड़ा अंतर है। आईसीएआर द्वारा संचालित केंद्रों के कर्मचारियों को समय पर प्रमोशन, पेंशन और ग्रैच्युटी जैसी सुविधाएं दी जाती हैं, जबकि गैर-आईसीएआर केंद्रों के कर्मचारियों को इन सुविधाओं से वंचित रखा जाता है।

भविष्य को लेकर कर्मचारियों में असुरक्षा  

गैर-आईसीएआर केंद्रों के कर्मचारियों को समय-समय पर परिषद की ओर से पत्र लिखकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। इस कारण इन केंद्रों के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। कर्मचारियों का कहना है कि समान कार्य के लिए समान वेतन के नियम का उल्लंघन संविधान सम्मत नहीं है।  

शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन

इसी असमानता के खिलाफ अखिल भारतीय कृषि विज्ञान केंद्र एवं एक्रिप फोरम के आवाहन पर देशभर के कृषि विज्ञान केंद्रों के कर्मचारी शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सिद्धार्थनगर जिले के सोहना केंद्र में वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्यक्ष के नेतृत्व में गुरुवार को शांतिपूर्ण धरना दिया गया।  

कर्मचारियों ने सरकार से आग्रह किया कि समान कार्य के लिए समान वेतन और अन्य सुविधाओं की गारंटी सुनिश्चित की जाए, ताकि केंद्रों के वैज्ञानिक और कर्मचारी बिना किसी असुरक्षा के अपने कार्य में योगदान दे सकें।